चर्चा में क्यों ?
हाल ही में आपराधिक कानून में सुधार हेतु भारत सर्कार के गृह मंत्रालय द्वारा एक राष्ट्रीय स्तर की समिति का गठन किया गया है |
सेवानेवितृया न्यायधीशों , पूर्व नौकरशाहों तथा अन्य लोगों के एक समूह ने इस समिति के लिए पत्र लिखा है, जिसमें समिति में विविधता की कमी पर सवाल उठाने के साथ साथ इसके कार्यपराड़ी में पारदर्शिता की मांग की गई है |
पृष्ठ्भूमि
इस समिति के गठन की घोषड़ा संसद में गृह मंत्री अमित शाह द्वारा दिसंबर २०१९ में की गई थी |
समिति का गठन ४ मई २०२० को गृह मंत्रालय की अधिसूचना के माद्यम से किया गया था |
इस समिति के अध्यक्ष ranveer सिंह ( कुलपति नेशनल ;लॉ यूनिवर्सिटी ,दिल्ली ) हैं |
यह समिति मॉब लिंचिंग जैसे मामलों से निपटने के लिए भारती दंड सहिंता() आपराधिक प्रक्रिया संहिता () में आवश्यक संशोधन किये जाने पर विचार करेगी |
मुख्य बिंदु
समिति के सदस्यों में सामाजिक पहचान के साथ ही उनकी पृष्ठभूमि और अनुभव दोनों के संदर्व में विविधता का अभाव है'
इस प्रकार के महत्वपूर्ण सुधार के लिए गठित की गई अन्य पिछली समितियों के विपरीत , इस समिति में कोई भी पूर्वकालिक सदस्य नहीं है |
आपराधिक कानूनों से सम्बंधित प्रमुख्य तथ्य
भारत में प्रचलित आपराधिक कानून कई स्रोतों से लिए गए है -- भारतीय दंड संहिता ,१८६०, नागरिक अधिकार अधिनियम ,१९५५, दहेज़ निषेध अधिनियम, १९६१ तथा अनुसूचित जनजाति अधिनियम, १९८९ |
लॉर्ड थॉमस मैकाले को भारत में आपराधिक कानूनों के सहिंताकरण का मुख्य वास्तुकार कहा जाता है |
आपराधिक कानून और आपराधिक प्रक्रिया संविधान की सातवीं अनुसूची की समवर्ती शुचि में सम्मिलित है |
सुधारों की आवश्कता
प्रभावहीनता |
वृहद् अभियोगाधीन मामले |
ावपनिवेशिक युग के कानून |
आपराधिक कानूनों से सम्बंधित पिछली समितियां
माधव मेनन समिति-- इसने २००७ में CJSI में सुधार पर विभिन्य सिफारिशों का सुझाव देते हुए अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत के |
मलिमथ कमेटी की रिपोर्ट -- इसने अपनी रिपोर्ट २००३ में आपराधिक न्याय प्राडाली ( CJSI ) पर प्रस्तुत की |
IPC क्या है?
भारतीय दंड संहिता को भर्ती दंड विधान और उर्दू में ताज इरात-ए-हिन्द भी कहते है जो की १८६० में बना था |
IPC में कुल मिलकर ५११ धाराएं ( सेक्शन) और २३ चैप्टर्स है यह २३ अध्यायों में बाटी हुई है |
1834 में पहला विधि आयोग FIRST LAW OF COMMISSION बनाया गया था | इसके चेयरपर्सन लॉर्ड मैकॉले थे | इन्ही की अध्यक्षता में IPC की डॉफ्ट तैयार किया
गया था |
6 ऑक्टूबर १८६० में यह कानून संसद में पास हुआ और 1862 में यह पूरी तरह से लागु किया गया था |
स्रोत-- इंडियन एक्सप्रेस
0 टिप्पणियां